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कार्तिक पूर्णिमा 2018

कार्तिकपूर्णिमा 2018
कार्तिकपूर्णिमा 2018

हिंदू पंचांग के अनुसार साल का आठवां महीना कार्तिक महीना होता है। कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा कार्तिक पूर्णिमा कहलाती है। प्रत्येक वर्ष पंद्रह पूर्णिमाएं होती हैं। जब अधिकमास या मलमास आता है तब इनकी संख्या बढ़कर सोलह हो जाती है। सृष्टि के आरंभ से ही यह तिथि बड़ी ही खास रही है। पुराणों में इस दिन स्नान,व्रत व तप की दृष्टि से मोक्ष प्रदान करने वाला बताया गया है।

इसका महत्व सिर्फ वैष्णव भक्तों के लिए ही नहीं शैव भक्तों और सिख धर्म के लिए भी बहुत ज्यादा है। विष्णु के भक्तों के लिए यह दिन इसलिए खास है क्योंकि भगवान विष्णु का पहला अवतार इसी दिन हुआ था। प्रथम अवतार में भगवान विष्णु मत्स्य यानी मछली के रूप में थे। भगवान को यह अवतार वेदों की रक्षा,प्रलय के अंत तक सप्तऋषियों,अनाजों एवं राजा सत्यव्रत की रक्षा के लिए लेना पड़ा था। इससे सृष्टि का निर्माण कार्य फिर से आसान हुआ।
शिव भक्तों के अनुसार इसी दिन भगवान भोलेनाथ ने त्रिपुरासुर नामक महाभयानक असुर का संहार कर दिया जिससे वह त्रिपुरारी के रूप में पूजित हुए। इससे देवगण बहुत प्रसन्न हुए और भगवान विष्णु ने शिव जी को त्रिपुरारी नाम दिया जो शिव के अनेक नामों में से एक है। इसलिए इसे 'त्रिपुरी पूर्णिमा' भी कहते हैं।

इसी तरह सिख धर्म में कार्तिक पूर्णिमा के दिन को प्रकाशोत्सव के रूप में मनाया जाता है। क्योंकि इसी दिन सिख सम्प्रदाय के संस्थापक गुरु नानक देव का जन्म हुआ था। इस दिन सिख सम्प्रदाय के अनुयाई सुबह स्नान कर गुरुद्वारों में जाकर गुरुवाणी सुनते हैं और नानक जी के बताए रास्ते पर चलने की सौगंध लेते हैं। इसे गुरु पर्व भी कहा जाता है।
इस तरह यह दिन एक नहीं बल्कि कई वजहों से खास है। इस दिन गंगा-स्नान,दीपदान,अन्य दानों आदि का विशेष महत्त्व है। इस दिन क्षीरसागर दान का अनंत महत्व है,क्षीरसागर का दान 24 अंगुल के बर्तन में दूध भरकर उसमें स्वर्ण या रजत की मछली छोड़कर किया जाता है। यह उत्सव दीपावली की भांति दीप जलाकर सायंकाल में मनाया जाता है।

 
ऐसा भी माना जाता है कि इस दिन कृतिका में शिव शंकर के दर्शन करने से सात जन्म तक व्यक्ति ज्ञानी और धनवान होता है। इस दिन चन्द्र जब आकाश में उदित हो रहा हो उस समय शिवा, संभूति, संतति, प्रीति, अनुसूया और क्षमा इन छह कृतिकाओं का पूजन करने से शिव जी की प्रसन्नता प्राप्त होती है।


संसार की रचना के समय से ही कार्तिक पूर्णिमा के दिन का अपने आप में बहुत खास महत्व है। हिंदू धर्म में इस तिथि को पवित्र मानने के पीछे एक कारण यह भी है कि इस दिन को ब्रह्मा, विष्णु, शिव, अंगिरा और आदित्य जैसे देवताओं का दिन माना गया है। पुराणों और शास्त्रों की कथा के अनुसार कार्तिक पूर्णिमा के दिन ही भगवान शिव ने त्रिपुरासुर नामक महाबलशाली राक्षस का संहार किया था इसी कारण इसका महत्व केवल वैष्णव भक्तों के लिए ही नहीं बल्कि शिव भक्तों के लिए भी है।

इस दिन श्रीसत्यनारायण की कथा सुनने का प्रचलन है और शाम के समय मंदिरों, चौराहों के साथ-साथ पीपल के वृक्ष, तुलसी के पौधे पर भी खास तौर पर दीपक जलाए जाते हैं। इस दिन गंगा को भी दान अर्पण किया जाता है। पुराणों में उल्लेख है कि कार्तिक पूर्णिमा को धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष जैसे चारों पुरुषार्थों को देने वाला दिन माना गया है और स्वयं विष्णु ने ब्रह्मा को, ब्रह्मा ने नारद को और नारद ने महाराज पृथु को कार्तिक मास के दिन सर्वगुण सम्पन्न महात्म्य के रूप में बताया है।
ऐसा माना जाता है कि कार्तिक पूर्णिमा के दिन से शुरू करके प्रत्येक पूर्णिमा को व्रत और जागरण करने से सभी मनोकामनाएं सिद्ध होती हैं। इस दिन भक्त स्नान, दान, हवन, यज्ञ और उपासना करते हैं ताकि उन्हें मन चाहे फल की प्राप्ति हो। इस दिन गंगास्नान और शाम के समय दीपदान करना भी बहुत शुभ माना गया है। कार्तिक पूर्णिमा के दिन भारी तादाद में गंगा जैसी पवित्र नदियों में स्नान करना शुभ माना जाता है। शास्त्रों में कहा गया है कि भरणी नक्षत्र में गंगा स्नान व पूजन करने से सभी तरह के ऐश्वर्य और सुख-सुविधाओं की प्राप्ति होती है।

साल में करीब 16 अमावस्या पड़ती हैं लेकिन साल की सबसे काली और लंबी अमावस्या की रात कार्तिक मास की अमावस्या यानी दीपावली के दिन मनाई जाती है और इसके 15 दिन बाद कार्तिक मास की पूर्णिमा पड़ती है जो संसार में फैले अंधेरे का सर्वनाश करती है। लोगों में ऐसी आस्था है कि इस दिन ईश्वर की आराधना करने से मनुष्य के अंदर छिपी सभी तामसिक प्रवृत्तियों का नाश होता है और इनकी समाप्ति के साथ ही मनुष्य देव स्वरूप प्राप्त कर सकता है। कार्तिक में पूरे माह ब्रह्म मुहूर्त में नदी, तालाब, कुण्ड, नहर में स्त्रान कर नियमपूर्वक भगवान की पूजा की जाती है। कलियुग में कार्तिक मास व्रत को मोक्ष का द्वार बताया गया है।

 

गंगा स्नान का महत्व

शास्त्रों में कार्तिक पूर्णिमा के दिन गंगा स्नान का बड़ा महत्व बताया गया है। ऐसा श्रद्धापूर्वक माना जाता है कि कार्तिक पूर्णिमा के दिन गंगा स्नान करने से पूरे साल गंगा मईया आप पर प्रसन्न रहती है। इस दिन न केवल गंगा बल्कि अन्य पवित्र नदियों के साथ-साथ तीर्थों में भी स्नान करने की प्रथा है यमुना, गोदावरी, नर्मदा, गंडक, कुरुक्षेत्र, अयोध्या, काशी में भी स्नान करने से विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है।

इस दिन सुबह स्नान करने के बाद पूरा दिन निराहार अर्थात बिना भोजन के रहा जाता है और भगवान विष्णु की आराधना करते हुए पूरे दिन भगवान का भजन करते हैं । इस दिन मंदिरों को विशेष रूप से सजाया जाता है। कार्तिक पूर्णिमा का व्रत करने वाले भक्त ब्राह्मण को भोजन भी कराते हैं, जिससे विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है। ब्राह्मण को भोजन से पूर्व हवन भी कराया जाता है।
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